tag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post5066537057192666501..comments2023-11-03T05:40:24.063-07:00Comments on Main aur Meri Kavitayen: अटपटी चटपटी बातें … Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-45413479805087199282021-03-24T12:02:44.927-07:002021-03-24T12:02:44.927-07:00सुंदर रचनासुंदर रचनाआलोक सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/17318621512657549867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-68973185633630439452014-05-11T01:51:47.878-07:002014-05-11T01:51:47.878-07:00रमण जी,
आपकी टिप्पणी के लिये कबसे तरस गयी थी आपका ...रमण जी,<br />आपकी टिप्पणी के लिये कबसे तरस गयी थी आपका आना सुखद लगता है <br />सही विश्लेषण, आभार इस टिप्पणी के लिये !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-33462916039218475142014-05-07T04:47:53.257-07:002014-05-07T04:47:53.257-07:00जो खिला कमल कीचड़ में
खुद कीचड़ बन मुरझाया
कमल खिल...जो खिला कमल कीचड़ में<br />खुद कीचड़ बन मुरझाया<br />कमल खिलाने कीचड़ में<br />फिर भीड़ जिद्द पर आया!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-81686022390527593642014-05-05T02:28:00.987-07:002014-05-05T02:28:00.987-07:00कमल क्या सच मैं खिलने वाला है इस बार ... पर कुर्सी...कमल क्या सच मैं खिलने वाला है इस बार ... पर कुर्सी का मोह सभी को है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-61077869608895131092014-05-04T09:35:46.509-07:002014-05-04T09:35:46.509-07:00कमल कीचड में खिल कर भी उससे ऊपर रहता है पर अपनी ऊर...कमल कीचड में खिल कर भी उससे ऊपर रहता है पर अपनी ऊर्जा इस कीचड से ही लेता है। राजनीति में भी ऐसा ही हो।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-58448708810302661862014-05-01T09:15:24.306-07:002014-05-01T09:15:24.306-07:00लोकतंत्र के जलप्रवाह में बसी गन्दगी सड़ती जाती,
इन...लोकतंत्र के जलप्रवाह में बसी गन्दगी सड़ती जाती, <br />इन परनालों के जमुना में,कहीं न कहीं मुहाने होंगे !<br />Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-79944652511935841012014-04-29T01:18:14.093-07:002014-04-29T01:18:14.093-07:00"ध्यान" के महत्व को समझाते समझाते मै खुद..."ध्यान" के महत्व को समझाते समझाते मै खुद भूल गयीं थी कि लिखते समय शब्दों पर भी ध्यान देना चाहिए :)Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-31131557198588334872014-04-29T00:24:52.592-07:002014-04-29T00:24:52.592-07:00अन्यथा न लेते हुये बहुत सारी भूलों को मानकर सही कर...अन्यथा न लेते हुये बहुत सारी भूलों को मानकर सही कर के आभार के साथ एक सच्चे स्नेही गुरुभाई के आदेश स्वरूप माना है :)<br />आभारी हूँ !<br />Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-58572116018724955032014-04-28T23:52:06.551-07:002014-04-28T23:52:06.551-07:00अर्जुन बेचारा कुरुक्षेत्र में यह सोच सोचकर गला जा ...अर्जुन बेचारा कुरुक्षेत्र में यह सोच सोचकर गला जा रहा था कि अपनों को मारकर यदि यह कुर्सी मिले तो क्या मैं इसे एंजॉय कर पाउँगा? और तब प्रभु ने उसे समझाया कि यही धर्म है तेरा और तू इसीलिये पैदा हुआ है. <br />आज देश अर्जुनों का देश बना हुआ है. हर किसी को बस चिड़िया की आँख की तरह कुर्सी ही दिख रही है. "अपने-अपनों" का दर्द महसूस करना सिर्फ दिखावा ही है.प्रभु (विवेक एवम अंतरात्मा) की अनुपस्थिति इस परिस्थिति का कारण है!<br />नर्सरी राइम वाले अन्दाज़ में लिखी बड़ों की कविता. बहुत सी भूलें हैं जिन्हें सुधारा जाना चाहिये:<br />भीड़ असंख्यक है कि जगह भीड़ असंख्य है.<br />उन्नती के स्थान पर उन्नति<br />सु:ख की जगह सुख<br />कुर्सी और पॉवर से ही निहित है की जगह कुर्सी और पावर में ही निहित है!! <br />अन्यथा न लेंगी ऐसा विश्वास है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-19986296450724497742014-04-28T21:19:07.656-07:002014-04-28T21:19:07.656-07:00रोचक ....रोचक .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com