tag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post7342678219568802125..comments2023-11-03T05:40:24.063-07:00Comments on Main aur Meri Kavitayen: लोग कहाँ पचा पाते है …Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-22616034721182969282021-03-24T12:00:17.247-07:002021-03-24T12:00:17.247-07:00सुंदर सही विचार ।सुंदर सही विचार ।आलोक सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/17318621512657549867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-412810708459773202014-07-24T16:32:28.872-07:002014-07-24T16:32:28.872-07:00सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात शायद इसी लिये कहा गया...सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात शायद इसी लिये कहा गया है। सच को कहने के तरीके होते हैं। सच अक्सर कडुवा होता है।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-71601770655050048432014-07-14T00:49:20.753-07:002014-07-14T00:49:20.753-07:00सच बात कही है ...
अभिव्यक्ति की आज़ादी का अक्सर लो...सच बात कही है ... <br />अभिव्यक्ति की आज़ादी का अक्सर लोग गलत इस्तेमाल ही करते हैं ... फिर इस आजादी के मुखौटे के पीछे खड़े हो जाते हैं ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-3213766308983097312014-07-12T07:51:39.050-07:002014-07-12T07:51:39.050-07:00 समसामयिक पंक्तियाँ ...कटु है पर है खरी बात समसामयिक पंक्तियाँ ...कटु है पर है खरी बात डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-52969152524617311522014-07-11T20:34:09.928-07:002014-07-11T20:34:09.928-07:00बहुत सुंदर प्रस्तुति.
इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, द...बहुत सुंदर प्रस्तुति.<br />इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 13/07/2014 को <a href="http://charchamanch.blogspot.in" rel="nofollow"> "तुम्हारी याद" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1673 </a> पर. <br />राजीव कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/01325529492703038666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-32275737416394467442014-07-11T20:06:57.748-07:002014-07-11T20:06:57.748-07:00मैं अक्सर भुक्तभोगी रहा हूँ सत्य की मार का ! आदत प...मैं अक्सर भुक्तभोगी रहा हूँ सत्य की मार का ! आदत पड़ चुकी है लोगों को मुखौटे लगाए रखने की ! इसे उतारते ही उन्हें अपने नंगे होने का भय लगता है ! नतीजा अक्सर विस्फोटक रहता है :)<br />मंगलकामनाएं आपको!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-111758643278599072014-07-11T20:05:45.219-07:002014-07-11T20:05:45.219-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-24727282620363744612014-07-11T20:04:29.291-07:002014-07-11T20:04:29.291-07:00बहुत बहुत आभार इस टिप्पणी के लिए
और सार्थक सलाह य...बहुत बहुत आभार इस टिप्पणी के लिए <br />और सार्थक सलाह याद रखूंगी :)Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6235785118993784942.post-81202844317223901102014-07-11T19:40:09.120-07:002014-07-11T19:40:09.120-07:00वाणी का संयम, शब्दों की गरिमा और सत्य की सुगन्ध के...वाणी का संयम, शब्दों की गरिमा और सत्य की सुगन्ध के साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को परिभाषित किया जा सकता है. जब कोँए में भंग पड़ी हो, जब नेत्रहीनों की बस्ती में कोई आँख वाला आ जाए, जब बेड़ियों को गहना मान लिया गया हो, जब अन्धकार की कालिमा को ही जीवन का रंग समझे बैठे हों लोग, तो सुकरात हो या मीरा लोग तो विष का प्याला ही प्रस्तुत करते हैं. यहाँ तक कि चन्द सम्बुद्ध रहस्यदर्शी भी इससे अछूते नहीं. विरोध प्रमाणित करता है कि कोई जीसस सच बोल रहा है, कोई मंसूर रूढि को चुनौती दे रहा है!<br />/<br />एक सलाह:<br />कृपया पोस्ट लिखते समय इतने बोल्ड फॉण्ट्स का प्रयोग न करें, सम्पूर्ण टेक्स्ट के लिये. आँखों में चुभते हैं.चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com