शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

नेह निमंत्रण ...........


सच में मैंने,
कभी न चाहा था!
तुमको अपने 
ह्रदय का हाल 
सुनाऊं !
मेरे सुख-दुःख में,
तुमको अपना 
साझीदार 
बनाऊं !
उन भोले-भाले
नयनोंमे, 
दर्द का सावन 
भर दूँ !
वह तो तुम्हारे 
नेह निमंत्रण ने,
अनायास मेरे 
दिल का दर्द 
पिघल कर 
शब्दों में,
बह आया है !

20 टिप्‍पणियां:

  1. सुख दुख हमारे साथी हैं, इन्हें साझ न करें :)

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  2. वह तो तुम्हारे
    नेह निमंत्रण ने,
    अनायास मेरे
    दिल का दर्द
    पिघल कर
    शब्दों में,
    बह आया है ...

    Sometimes we get so emotional by the touching and kind gestures of our friends.

    .

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  3. मैंने चाहा तुम्हें हमराज़ बनाऊं
    तुमसे ढेर सारी बातें करूँ
    कभी कोई ओस आँखों से टपके
    तो मैं गुलाब बन जाऊँ
    ..... यह नेह निमंत्रण मेरे अन्दर भी पिघलने लगा है

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  4. वह तो तुम्हारे
    नेह निमंत्रण ने,
    अनायास मेरे
    दिल का दर्द
    पिघल कर
    शब्दों में,
    बह आया है ...

    बहुत सुंदर ...होता है ऐसा भी....

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  5. बहुत सुंदर/ बढ़िया लिखा आपने.

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  6. इस नेह निमंत्रण की बधाई आपको .....

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  7. वह तो तुम्हारे
    नेह निमंत्रण से,
    अनायास मेरे
    दिल का दर्द
    पिघल कर
    शब्दों में,
    बह आया है ...
    ऐसे ही होता है दिल का दर्द जो पत्थर होत जाता है पर दो स्नेह के बोल पाकर बहने लगता है ।

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  8. वह तो तुम्हारे
    नेह निमंत्रण ने,
    अनायास मेरे
    दिल का दर्द
    पिघल कर
    शब्दों में,
    बह आया है ...
    बहुत बढ़िया.......

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  9. अगर किसी पर भरोसा हो तो कष्ट बांटने में परस्पर विश्वास और बढ़ता है !
    इसमें पछतावा क्या ...??

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  10. दिल का दर्द
    पिघल कर
    शब्दों में,
    बह आया है ...

    बहुत सुंदर ...होता है ऐसा भी....

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  11. कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका
    .....माफी चाहता हूँ..

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  12. bahut accha Suman ji...neh ka bandhan dravibhoot ho jaata hai....aur aankhen ghanibhoot peera ki badli si baras jaati hain...

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