गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

अभिलाषा


सुमन 
सुबह-सुबह 
काँटों में खिला 
साँझ मुरझा
गया !
जाते - जाते 
जीवन कहानी 
दोहरा गया !
हर बीज में 
छुपी हुई है 
फूल होने की 
अभिलाषा !
हर फूल में 
बीज होने की,
देखना कल 
फिर- फिर 
खिलेगा !
चाहे किसीका 
मित बिछुड़े 
चाहे किसीका 
प्यार लूटे
नए-नए अरमान लिए  
मन सपना 
फिर - फिर  
बूनेगा !

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी लगी यह कविता.

    सादर

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  2. चाहे किसीका
    मित बिछुड़े
    चाहे किसीका
    प्यार लूटे
    नए-नए अरमान लिए
    मन सपना
    फिर - फिर
    बूनेगा !


    यही तो जीवन है ..हमेशा आशा रहनी चाहिए ..कुछ सार्थक होने की ....आपका आभार

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  3. सुमन
    सुबह-सुबह
    काँटों में खिला
    साँझ मुरझा
    गया !
    जाते - जाते
    जीवन कहानी
    यही तो जीवन है सुन्दर भाव, बहुत सुन्दर , बधाई तो कम है ....

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  4. यही तो जीवन-मृत्यु-जीवन का फ़लसफ़ा है :)

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  5. हर बीज में
    छुपी हुई है
    फूल होने की
    अभिलाषा !
    हर फूल में
    बीज होने की,
    देखना कल
    फिर- फिर
    खिलेगा !
    जीवन की अभिलाषा को दर्शाती गहन अभिव्यक्ति..... बहुत सुंदर

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  6. सुमन
    सुबह-सुबह
    काँटों में खिला
    साँझ मुरझा
    गया !
    जाते - जाते
    जीवन कहानी
    दोहरा गया !
    bahut gahree baat !
    ye hee jeevanchakr hai......
    sarthak lekhan.....
    man sab janta hai fir bhee jindagee ke tano bano me bandh kar rah jata hai...

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  7. काव्य में
    जीवन - दर्शन है ...
    अच्छी रचना .

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