रविवार, 20 जनवरी 2013

गंगा को मैली कर के ....


मन मैला और 
तन को धोने 
चले कुंभ के 
मेले में 
जहाँ पापों को
मिटाने गए थे 
वही एक और 
पाप कर आए 
गंगा को मैली 
कर के ....!

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  2. गंगा के प्रति आपका अगाध प्रेम छलकता है

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  3. पापियों के पाप धो-धो के गंगा मैली होती जा रही है।

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  4. बहुत ही सुन्दर भावनाएं व्यक्त की हैं आपने | आभार

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  5. 'राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते धोते'- आज इस पंक्ति का अर्थ समझ आ गया |

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  6. कई बार,शरीर के प्रति होश ही अशरीरी-बोध में सहायक होता है।

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  7. सच कहा है ... यही तो विडंबना है आज की ...

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  8. बहुत बढि़या- सारिक खान
    http://sarikkhan.blogspot.in/

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