गुरुवार, 4 नवंबर 2010

आई है दीवाली !

रुनझुन-रुनझुन
ज्योति की पायल
बजी जागी प्रभात
जैसे नभ में छिड़की
कुंकुंम लाली
जगमग-जगमग
आई है दीवाली!
फूल-सी महके
जीवन फुलवारी
आँगन-आंगन
सजी रंगोली
बंधी तोरण द्वार -द्वार
फूल मालाओंकी
झालर न्यारी
मनभावन अल्पना
प्रांगण सुचित्रित कर
सुख बन सुषमा बन
घर-घर छायी
आई है दीवाली!
तम की विकट
निशा बीती
चिर सत्य की
विजय हुई
श्री रामचंद्र की
हुई जय जयकार
दिग-दिगंत के
छोर तक गूंजी
जयभेरी
दीप जले खुशियों के
जगमग -जगमग
अलोक वृष्टि
चहुओर हुयी
आई है दिवाली !

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना!



    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल 'समीर'

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  2. Sunder kawita men sunder deepawali warnan. Deepawali kee shubh kamnaen aapko bhee.

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  3. सुन्दर रचना! दीपावली की शुभकामनाये

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  4. फूल-सी महके
    जीवन फुलवारी
    आँगन-आंगन
    सजी रंगोली
    बंधी तोरण द्वार -द्वार
    फूल मालाओंकी
    झालर न्यारी

    सुमन जी क्या कहूँ ....?
    आपने तो आँगन में फूल , तोरण,रंगोली सब सजा रखी है ....
    तो लक्ष्मी तो जरुर आई होगी आपके द्वार .....?

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  5. बड़ी सुन्दर कविता...बधाई.


    _________________
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  6. आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं

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  7. sanjaya ji aapke khubsurat coments ke liye dhanyavad..........

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