गुरुवार, 10 मार्च 2011

क्षितिज के पार ........

इन कविताओं का
सृजन केवल एक
बहाना ही तो है
सन्देश
तुम तक
पहुंचा ने का
अन्यथा
मै कह न पाती
तुम सुन न पाते
दूर
क्षितिज के पार
प्रिय
तुम्हारा गाँव !

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत किया बहाना ... तुमने सुना क्या ?
    बहुत पुकारा तुझे इन शब्दों ने ... सुना क्या ?

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  2. सुमन जी, आपने तो सृजन की एक नयी परिभाषा बता दी , सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई

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  3. बहुत बढ़िया सुमनजी..... गिनती के शब्द हैं.... और अभिव्यक्ति कितनी गहन.... अच्छा लगा पढ़कर ....

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  4. कुछ शब्दों में इतनी गहन अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर

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  5. अन्यथा
    मै कह न पाती
    तुम सुन न पाते
    दूर
    क्षितिज के पार
    प्रिय
    तुम्हारा गाँव

    बहुत खूब लिखा है आपने.
    सलाम .

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  6. अन्यथा
    मै कह न पाती
    तुम सुन न पाते
    दूर
    क्षितिज के पार
    प्रिय
    तुम्हारा गाँव wah.ekdam dil se nikli ho jaise..

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  7. वाह ....बहुत ही खूबसूरत गहरे भाव लिये
    बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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