शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

आधुनिक नारी तुमने .....

हे आधुनिक नारी
तुमने,
ये क्रांति का कैसा
बिगुल बजाया है
पब,पार्टियों की
शोभा बनकर
हाथ में शराब
और सिगरेट लिये
पुरुषों से समान
हक्क पाने का !
अब कैसे कोई
तेरे प्यार में,
कवि बनेगा !
कैसे लिखेगा
कालिदास तुमपर
 कविता !

9 टिप्‍पणियां:

  1. सच्ची चिंता का का विषय चुना है सुमन जी आपने॥

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  2. सही विषय उठाया,भगवान आपकी इच्छा पूरी करे और करोड़ों कवि पैदा हो जाये.......

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  3. नारी को आधुनिक बनने का भूत सवार है- उन तमाम दुर्गुणों के साथ,जिनके लिए वे पुरातन से पुरुषों को कभी समझाती आई हैं,तो कभी धिक्कारती!

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  4. जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
    दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
    ईद मुबारक

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  5. बहुत अच्छी कविता बधाई और शुभकामनाएं

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  6. इनको सन्मति दे भगवान । स्वतंत्रता के नाम पर उत्छृंकलता । अच्छा विषय और सटीक कविता ।

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