ख्याल कभी मेरे ...
हो मौन कभी मुखर
चेतना से इंधन
डलवा कर ...
चमचमाती, कीमती
मोटर, गाड़ियों की तरह
राज पथ पर (हाई वे)
दौड़ते है, कभी खुद
पगडंडी बन किसी गाँव
क़स्बे में पहुँच जाते !
कभी फूल- से नाजुक
तितलियों से चंचल
फूल-फूल पर मंडरा कर
पंख अपने रंग लेते !
कभी सूरज के प्रखर
ताप से पिघल कर
बाष्प बन हृदयाकाश में
भाव की बदली बन
छा जाते, बरस जाते
मन के आंगन में,
अनायास ही
गीत स्वयं बन जाते
ख्याल मेरे कभी ........!!
खयालों का क्या है.. खयाली पुलाव तो पकते रहते हैं:) सुंदर कविता के लिए बधाई सुमन जी॥
जवाब देंहटाएंसुंदर भावभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंkisi naa kisee tarah khyaal baahar aate hein
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या
जवाब देंहटाएंकल 22/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है !
'' तेरी गाथा तेरा नाम ''
वाह!..ख्यालो की तो बात ही कुछ और है सुमन जी!...सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंख्याल ही तो शब्द बन कविता बन जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंख्यालो और एहसासों की कहानी की बहुत ही खुबसूरत अभिवयक्ति..... हर पंक्ति खुद में अर्थ समेटे है.......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता, बधाई सुमन जी.
जवाब देंहटाएंभाव की बदली फुहारों में बरस रही है..
जवाब देंहटाएंआह ये ख्याल, क्या क्या करते और करवाते हैं । सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर ख्यालों में सजी खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत ख़याल.... सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई
सुन्दर सी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबधाई..
ख्यालों की उड़ान पकड़ना आसान नहीं ... उनके साथ उड़ना ही पढता है ...
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति ..लगा जैसे मन की बात कह दी
जवाब देंहटाएंyadi aap mere dwara sampadit kavy sangrah mein shamil hona chahti hain to sampark karen
जवाब देंहटाएंrasprabha@gmail.com
सुंदर कविता बधाई......
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachana ...badhai sweekaren
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