सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

ख्याल कभी मेरे .......


ख्याल कभी मेरे ...
हो मौन कभी मुखर
चेतना से इंधन
डलवा कर ...
चमचमाती, कीमती 
मोटर, गाड़ियों की तरह 
राज पथ पर (हाई वे)
दौड़ते है, कभी खुद 
पगडंडी बन किसी गाँव 
क़स्बे में पहुँच जाते !
कभी फूल- से नाजुक 
तितलियों से चंचल 
फूल-फूल पर मंडरा कर 
पंख अपने रंग लेते !
कभी सूरज के प्रखर 
ताप से पिघल कर 
बाष्प बन हृदयाकाश में 
भाव की बदली बन 
छा जाते, बरस जाते 
 मन के आंगन में,
अनायास ही
गीत स्वयं बन जाते 
ख्याल मेरे कभी  ........!!

18 टिप्‍पणियां:

  1. खयालों का क्या है.. खयाली पुलाव तो पकते रहते हैं:) सुंदर कविता के लिए बधाई सुमन जी॥

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  2. बहुत ही बढि़या

    कल 22/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है !
    '' तेरी गाथा तेरा नाम ''

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  3. वाह!..ख्यालो की तो बात ही कुछ और है सुमन जी!...सुन्दर रचना!

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  4. ख्याल ही तो शब्द बन कविता बन जाते हैं ...

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  5. ख्यालो और एहसासों की कहानी की बहुत ही खुबसूरत अभिवयक्ति..... हर पंक्ति खुद में अर्थ समेटे है.......

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  6. बहुत सुंदर कविता, बधाई सुमन जी.

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  7. भाव की बदली फुहारों में बरस रही है..

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  8. आह ये ख्याल, क्या क्या करते और करवाते हैं । सुंदर प्रस्तुति ।

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  9. सुन्दर ख्यालों में सजी खूबसूरत रचना |

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  10. बहुत खुबसूरत ख़याल.... सुन्दर रचना...
    सादर बधाई

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  11. सुन्दर सी प्रस्तुति...
    बधाई..

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  12. ख्यालों की उड़ान पकड़ना आसान नहीं ... उनके साथ उड़ना ही पढता है ...

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  13. बेहद प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति ..लगा जैसे मन की बात कह दी

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  14. yadi aap mere dwara sampadit kavy sangrah mein shamil hona chahti hain to sampark karen
    rasprabha@gmail.com

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