फूल का महत्व
उसके सुगंध में
निहित है तो,
कविता का महत्व
उसके भावों में
निहित है !
कितना ही सुंदर
फूल क्यों न हो
गंध रहित हो तो
महत्वहीन लगता है
जब तोता अपनी
चोंच गुलर के
फूल पर मारता है
तब भीतर से निकल
आती है गंधहीन रूई
ऐसे ही लगती है
कोई एक कविता
पढ़ते-पढ़ते
दिल को छू लेती है
कोई एक कविता !
मृत्यु
जन्म के साथ ही
जन्म लेती है
बढती है हर पल
प्रौढ़ होती है !
मृत्यु
आती है कहीं भी
कभी भी हर घडी
हर मोड़ पर खड़ी !
मृत्यु
आती है कभी
रात के सन्नाटे में
चुपचाप दबेपांव
पंजों के बल !
मृत्यु
आती है कभी
दोपहर के उजाले में
ललकारती हुई
होटों पर कुटिल
मुस्कान लिये !
मृत्यु
जीवन का सच
रामनाम सत्य
इस सत्य को जब तक
स्वीकार नहीं करेगा
नहीं करेगा समर्पण
जीवन की धार में
तब तक लड़ता रहा है
लड़ता रहेगा वंशज
भगीरथ का काल से
नहीं मानेगा हार .....
मन नदी
मान सरोवर
समीप किनारे
शंख-सीप
उपर लहरे
निचे जल
भीतर गहरे
मुक्ता फल
चुगता मोती
राज हंस !