रविवार, 21 अक्टूबर 2012

कोई एक कविता ...

फूल का महत्व 
उसके सुगंध में 
निहित है तो,
कविता का महत्व 
उसके भावों में 
निहित है !
कितना ही सुंदर 
फूल क्यों न हो 
गंध रहित हो तो 
महत्वहीन लगता है 
जब तोता अपनी 
चोंच गुलर के 
फूल पर मारता है 
तब भीतर से निकल
आती है गंधहीन रूई
ऐसे ही लगती है 
कोई एक कविता 
पढ़ते-पढ़ते 
दिल को छू लेती है 
कोई एक कविता !

9 टिप्‍पणियां:

  1. कविता भावों का उद्गम ना हो तो कविता रह ही नहीं जाती

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २३/१०/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है

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  3. जब दिल को छूना पैमाना हो,तो निष्पक्ष रूप से कविता को अच्छा नहीं कहा जा सकता। अधिकतर अच्छी कविताएं वे हैं जो दिल बहलाती नहीं,दिल पर चोट करती हैं।
    संवेदना के जिस स्तर पर कवि है,पाठक वहां हो तभी बात बनती है। अफ़सोस,कि अधिकतर कवियों का लिखना भी संवेदना से इतर प्रयोजनों को लेकर ही होता है। यह जो गंधहीनता है,प्राणहीनता है कविता की- इसी कारण है।
    पहले,कविताएँ प्रसव-पीड़ा सी होती थीं। अब रोज़ लिखी जाती हैं। ज़ाहिर है,न वे कविताएं हैं,न उनसे कोई कवि बन पाएगा।

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  4. गुण हो तो सुगंध की तरह फैलेंगे, कविता हो या जीवन!

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