शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

कौन नींद से मुझे जगाता ...


अक्सर मै 
सोचती हूँ 
फिर भी 
मन है कि 
समझ न पाता 
साँझ-सवेरे 
नील गगन में, 
अनगिनत 
झिलमिल दीप 
कौन जलाता 
कौन बुझाता !
भोर से पहले 
पंछी जागते,
फूल,पत्तों पर 
कौन धवल 
मोती बिखराता !
सवेरे-सवेरे 
फूल खिल जाते, 
हवाओं में कैसे 
सौरभ भर जाता !
पल भर में 
भौरों को कौन 
सन्देश पहुंचाता !
कोयल के सुरीले 
कंठ से गाकर
कौन नींद से 
मुझे जगाता .....?

14 टिप्‍पणियां:

  1. सच कौन है वो जीवन का संचालक ..... बहुत प्यारी रचना

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  2. सटीक प्रस्तुति ||
    आभार आदरेया ||

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  3. ये तो प्रकृति ... उस ईश्वर का कमाल है जिसको कोई देख नहीं पाता है ...

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  4. सचमुच कौन । वही तो नही जिसके बलबूते पर हम वह सब करते हैं जो आनंद देता है ।

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  5. भौरों को कौन
    सन्देश पहुंचाता !
    कोयल के सुरीले
    कंठ से गाकर
    कौन नींद से
    मुझे जगाता .....

    प्रकृति का अनुपम भाव लिए रचना
    मेरा विद्यालय और राष्ट्रिय पर्व पर एक नज़र डालियेगा .

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  6. बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

    आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

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  7. सुमन जी, काफी समय से नई कविता नही आई ।

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  8. भावभीनी सुन्दर रचना जो मन को गहरे तक छू गयी । बधाई

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  9. समझ न पायी कभी आजतक
    नील गगन में,साँझ-सवेरे
    अनगिन झिलमिल दीप सामने
    कौन जलाता, कौन बुझाता !

    सुबह सवेरे फूल खिलाकर
    इन चिड़ियों को कौन जगाता
    फूल और पत्तों पर आकर
    कौन धवल मोती बिखराता !

    कौन शक्ति आकर भौरों को,
    फूलों की सगंध बतलाये !
    और हवाओं में खुद कैसे
    मधुर मधुर सौरभ भर जाता !

    कोयल का संगीत सुनाकर
    कौन सुबह को मुझे जागता
    किसकी यादें मुझे भेजकर
    मीठे सपने रोज़ दिखाता !

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