अक्सर मै
सोचती हूँ
फिर भी
मन है कि
समझ न पाता
साँझ-सवेरे
नील गगन में,
अनगिनत
झिलमिल दीप
कौन जलाता
कौन बुझाता !
भोर से पहले
पंछी जागते,
फूल,पत्तों पर
कौन धवल
मोती बिखराता !
सवेरे-सवेरे
फूल खिल जाते,
हवाओं में कैसे
सौरभ भर जाता !
पल भर में
भौरों को कौन
सन्देश पहुंचाता !
कोयल के सुरीले
कंठ से गाकर
कौन नींद से
मुझे जगाता .....?
प्यारी सी रचना
जवाब देंहटाएंसच कौन है वो जीवन का संचालक ..... बहुत प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंsacchi bat ..kaun hai ...kabhi samne to aaye ...
जवाब देंहटाएंसटीक प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया ||
बहुत प्यारी सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंये तो प्रकृति ... उस ईश्वर का कमाल है जिसको कोई देख नहीं पाता है ...
जवाब देंहटाएंसचमुच कौन । वही तो नही जिसके बलबूते पर हम वह सब करते हैं जो आनंद देता है ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव
जवाब देंहटाएंभौरों को कौन
जवाब देंहटाएंसन्देश पहुंचाता !
कोयल के सुरीले
कंठ से गाकर
कौन नींद से
मुझे जगाता .....
प्रकृति का अनुपम भाव लिए रचना
मेरा विद्यालय और राष्ट्रिय पर्व पर एक नज़र डालियेगा .
बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
जवाब देंहटाएंआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
सुमन जी, काफी समय से नई कविता नही आई ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंभावभीनी सुन्दर रचना जो मन को गहरे तक छू गयी । बधाई
जवाब देंहटाएंसमझ न पायी कभी आजतक
जवाब देंहटाएंनील गगन में,साँझ-सवेरे
अनगिन झिलमिल दीप सामने
कौन जलाता, कौन बुझाता !
सुबह सवेरे फूल खिलाकर
इन चिड़ियों को कौन जगाता
फूल और पत्तों पर आकर
कौन धवल मोती बिखराता !
कौन शक्ति आकर भौरों को,
फूलों की सगंध बतलाये !
और हवाओं में खुद कैसे
मधुर मधुर सौरभ भर जाता !
कोयल का संगीत सुनाकर
कौन सुबह को मुझे जागता
किसकी यादें मुझे भेजकर
मीठे सपने रोज़ दिखाता !