मन की भी अजीब स्थिति होती है, मनोभावों को सशक्तता से अभिव्यक्त करती रचना.रामराम.
कभी कभी मन को ढीला भी छोड़ना चाहिए । तभी तो कसा जाएगा ...
सधे सुरीले दिनों से इतर कुछ दिन ऐसे भी होते हैं....देखना बीत ही जायेंगे.... सादरअनु
बहुत ही सुन्दर एहसास,आभार.
मन के भावों को जड़ें देनेवाली सशक्त रचना के लिए बधाई
कुछ अधिक ढीले ढाले कुछ अधिक कसेकैसा असमंजस
छंद सधते नहीं, ध्यान बंटता बहुतआज अक्षर बिखरते चले जा रहे !कुछ हैं ढीले बहुत,कुछ बहुत कस गए,मन की वीणा के तार अब सँभलते नहीं !
बहुत बढिया
अति सुन्दर मनोभावोँ की प्रस्तुति । बधाई ।
उदास और गहन अभिव्यक्ति ....!!
मन की भी अजीब स्थिति होती है, मनोभावों को सशक्तता से अभिव्यक्त करती रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कभी कभी मन को ढीला भी छोड़ना चाहिए । तभी तो कसा जाएगा ...
जवाब देंहटाएंसधे सुरीले दिनों से इतर कुछ दिन ऐसे भी होते हैं....
जवाब देंहटाएंदेखना बीत ही जायेंगे....
सादर
अनु
बहुत ही सुन्दर एहसास,आभार.
जवाब देंहटाएंमन के भावों को जड़ें देनेवाली सशक्त रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंकुछ अधिक ढीले ढाले कुछ अधिक कसे
जवाब देंहटाएंकैसा असमंजस
कुछ अधिक ढीले ढाले कुछ अधिक कसे
जवाब देंहटाएंकैसा असमंजस
छंद सधते नहीं, ध्यान बंटता बहुत
जवाब देंहटाएंआज अक्षर बिखरते चले जा रहे !
कुछ हैं ढीले बहुत,कुछ बहुत कस गए,
मन की वीणा के तार अब सँभलते नहीं !
बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर मनोभावोँ की प्रस्तुति । बधाई ।
जवाब देंहटाएंउदास और गहन अभिव्यक्ति ....!!
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