शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

भावना में बह गये कविता के छंद ...

      
      बारिश  भी ,
बड़ी अजीब होती  है 
    कहीं बूंद-बूंद को 
       मानव तरसे 
           कहीं 
     बाढ़  ले आयी    ...
                   
        कही  बारिश  
साथ ले आयी किसी की 
      यादों  की  सौंधी 
            गंध 
  भावना में बह गये 
       कविता के 
         छंद ...!

19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया भाव-
    सुन्दर प्रवाह-
    सादर-

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  2. बारिश भी शायद भेदभाव करती है जबकि उसे समान व्यवहार करना चाहिये. नाइंसाफ़ी है ये.

    रामराम.

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  3. कही बारिश
    साथ ले आयी किसी की
    यादों की सौंधी
    गंध
    भावना में बह गये
    कविता के
    छंद ...!

    वाह, बहुत ही खूबसूरत शब्द.

    रामराम.

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  4. बहुत सुन्दर......
    बह कर हम तक आ पहुंचे....

    सादर
    अनु

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  5. भावना में बह गए कविता के छंद... बहुत सुंदर !!सादर

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  6. भावना में बह गए कविता के छंद... बहुत सुंदर !!सादर

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।

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  9. बारिश कविता मेघ की
    भाव बहे झहराए....

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  10. निराली है ये बारिश ...
    आती है तो भेदभाव नहीं करती ...

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  11. आज वारिश साथ ले आई किसी की याद को
    छंद सारे हंस पड़े , महसूस तेरी गंध कर !

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  12. भावना में बह गये कविता के छंद .......क्या बात है सुमन जी ।

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  13. भावना में बहे छंद ही तो दिल के करीब होते हैं

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