इन दिनों
हमारे देश का
सारा चिंतन
प्याज से
होता हुआ
रुपये और चरित्र
पर आकर
अटक गया है
क्यों न हो
रुपये और चरित्र में
इन दिनों
भारी प्रतियोगिता
जो चल रही है
कि, कौन कितना
अधिक गिरता
है !
प्याज चड़ता है रुपया गिरता है ...
जवाब देंहटाएंजाने कौन किसके सहारे सत्ता की कमान थामना चाहता है ...
लोगों का क्या है रस्म निभाकर निकल लिये ..
जवाब देंहटाएंऐसी प्रतियोगिता देख सुन कर ही रूह कांप जाती है, सटीक चिंतन.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बेहतरीन...
जवाब देंहटाएं:-)
प्याज चढे रुपया गिरे और चरित्र तो गर्त में।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।