सोमवार, 16 सितंबर 2013

पत्ते -पत्ते पर लिख कर …


                 
  जब,
सुबह -सुबह 
पत्ते -पत्ते पर 
लिख कर 
प्रणय छंद  
हवा ने 
हौले से छुआ 
गुलाबी तन 
   तब,
खिल कर 
महक उठा 
 गुलाब 
मेरे आँगन में  ....! 

13 टिप्‍पणियां:

  1. यूँ ही तो कलियाँ फूल बनती हैं.....
    :-)

    सुन्दर कविता है दी
    सादर
    अनु

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  2. प्रकृति के इन भावों को पकडना सहज मन की निशानी है, बखूबी अभिव्यक्त किया आपने, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. यूं ही गुलाब खिलते रहें .... आँगन के साथ मन भी महकता रहे ॥

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  4. यूं ही गुलाब खिलते रहें .... आँगन के साथ मन भी महकता रहे ॥

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  5. कोमल पवन के साथ झूमते शब्द ... प्रेम की महक लिए ...

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  6. वाह, यूं ही खिलते रहें प्रेम के गुलाब आपके आंगन में।

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  7. मन हो गुलाब,आंगन सुगंध
    हो सांस-सांस में प्रणय-छंद

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