शनिवार, 11 अगस्त 2012

जैसे चाहूँ चित्र बनाऊँ ... ( बाल कविता )


मन है मेरा कोरा कागज 
जैसे चाहूँ चित्र बनाऊँ !

फूल-पौधे पशु-पक्षी बनाऊँ,
हरी-भरी धरती पर 
महका-महका एक 
उपवन बनाऊँ !

मन न्यारे, मानव न्यारे 
पावन धरती पर एकता का 
एक सुंदर मंदिर बनाऊँ !

हिंद हिमाचल, यमुना गंगा 
बनाऊँ शान से लहराता तिरंगा !

जननी जन्मभूमि बनाऊँ 
प्रेम अहिंसा के रंगों से 
प्यारे भारत का चित्र सजाऊँ !!

14 टिप्‍पणियां:

  1. जो कल्पना की गई है, इस कविता में, वह साकार हो!

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  2. बाल मन की भोली अभिव्यक्ति....
    बहुत सुन्दर..

    सादर
    अनु

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  3. सुन्दर प्यारा भारत देश बनाऊं
    बहुत सुन्दर भाव...
    :-)

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  4. सुंदर भावों से सजी बाल कविता. आभार.

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  5. जननी जन्मभूमि बनाऊँ
    प्रेम अहिंसा के रंगों से
    प्यारे भारत का चित्र सजाऊँ !!

    बहुत सुंदर भाव

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  6. उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवार के चर्चा मंच पर ।।

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  7. वाह सुमन जी, बहुत प्यारी रचना ।

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  8. सब कुछ बनाइये
    जरूर बनाइये
    बनाते चले जाइये
    जो जो बन जाये
    हमको भी दिखाइये !

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  9. बहुत सुन्दर .. सार्गार्हित बाल रचना ... देश प्रेम की भावना को कोमलता से पिरोया है ...

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  10. बहुत सुन्दर कविता सुमन जी |नमस्ते

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  11. मन यदि कोरा हो तो उस पर ये चीज़ें ही उकेरने लायक़ हैं।

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