मन है मेरा कोरा कागज
जैसे चाहूँ चित्र बनाऊँ !
फूल-पौधे पशु-पक्षी बनाऊँ,
हरी-भरी धरती पर
महका-महका एक
उपवन बनाऊँ !
मन न्यारे, मानव न्यारे
पावन धरती पर एकता का
एक सुंदर मंदिर बनाऊँ !
हिंद हिमाचल, यमुना गंगा
बनाऊँ शान से लहराता तिरंगा !
जननी जन्मभूमि बनाऊँ
प्रेम अहिंसा के रंगों से
प्यारे भारत का चित्र सजाऊँ !!
जो कल्पना की गई है, इस कविता में, वह साकार हो!
जवाब देंहटाएंभावो को संजोये रचना...
जवाब देंहटाएंबाल मन की भोली अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
सादर
अनु
सुन्दर प्यारा भारत देश बनाऊं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव...
:-)
सुंदर भावों से सजी बाल कविता. आभार.
जवाब देंहटाएंजननी जन्मभूमि बनाऊँ
जवाब देंहटाएंप्रेम अहिंसा के रंगों से
प्यारे भारत का चित्र सजाऊँ !!
बहुत सुंदर भाव
उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंसशक्त चित्र
जवाब देंहटाएंवाह सुमन जी, बहुत प्यारी रचना ।
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जवाब देंहटाएंसब कुछ बनाइये
जरूर बनाइये
बनाते चले जाइये
जो जो बन जाये
हमको भी दिखाइये !
बहुत सुन्दर .. सार्गार्हित बाल रचना ... देश प्रेम की भावना को कोमलता से पिरोया है ...
जवाब देंहटाएंसच में बाल सुलभ कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता सुमन जी |नमस्ते
जवाब देंहटाएंमन यदि कोरा हो तो उस पर ये चीज़ें ही उकेरने लायक़ हैं।
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