सुना है कि,
इश्वर ने मनुष्य को
जीवन के एक प्याले में
सुख भरकर दिया और
यह कहा कि, इसे पियो
और खुश रहो मस्त रहो
दुसरे प्याले में दुःख भरकर
दिया और यह कहा कि,
इसे पियो और जानो कि,
जीवन क्या है ?
और अक्सर मनुष्य
सुख पीते-पीते यह
भूल जाता है कि
इश्वर क़ी कही हुई
दूसरी बात को,
इसी कारण शायद
आरोपों के कटघरे में
खड़ा कर देता है
मनुष्य उसको ...
क्या पता इसीलिए
लापता रहता होगा वो
सजा के डर से .......!
इंसान खुद का किया नहीं देखता .... ईश्वर को ही कटघरे में खड़ा कर देता है ...बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदूसरा प्याला बिना पिए पहले प्याले का स्वाद दुर्लभ है
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत बढिया ।
जवाब देंहटाएंमनुष्य इतनी नीचता पर उतर आया है कि अब बाक़ी भी यही रह गया है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति....
सादर
अनु
सच कहा है इंसान सुख के चलते दुःख भूलने लगता है जो जीवन का सत्य है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...ईश्वर भी सज़ा के डर से लापता है ।
जवाब देंहटाएंवाह सुंदर जीवन दर्शन । ईश्वर भी मनुष्य को दानव बनते देख निराश है कहां तो उसने इसकी रचना अपनी तरह बनाने के लिये की थी ।
जवाब देंहटाएंबहुत गहन ...
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