रविवार, 24 अगस्त 2014

कविता तुम ...

कहाँ रहती हो 
कविता तुम 
कभी तनहाई में 
बुलाने पर भी 
नहीं आती,
कभी बिन बुलाये 
आ जाती हो 
भावों के नुपुर 
पहन कर,
छमा-छम छमछम 
बरस जाती हो 
मेरे आँगन में 
झमा-झम झमझम
बारिश की तरह !
स्वाद तृप्ति का 
दे चातक मन 
तृप्त कर देती हो 
कविता तुम   .... !

26 टिप्‍पणियां:

  1. कविता वो ख़ुश्बू का झोंका है जो वहीं आता है जहाँ मन के वातायन खुले होते हैं!! एक मासूम सी प्यारी सी रचना!

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  2. हर दुःख-सुख, ख़ुशी-गम में कब कविता आकर साथ निभाती चली जाय पता नहीं ....
    बहुत सुन्दर कविता

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  3. वाह सुमन जी कविता के बारे में क्या अनोखी कविता रची है आपने वाकई भावों की पायल पहन नाच उठी कविता छमा छम छम।

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  4. यही कविता है , मंगलकामनाएं आपको !

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  5. ये तो आपने शायद हर कवि के मन की बात कह दी है.

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  6. कविता का सीधा सम्बन्ध दिल से है ... उसे दिल से याद करो तो आ जाती है वरना दूर दूर से सताती है ...

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  7. बहुत सुन्दर और मन को छूती रचना ---
    सादर ---

    आग्रह है --
    भीतर ही भीतर -------

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  8. कहाँ रहती हो कविता तुम, बुलाने पर नहीं आतीं
    और अक्सर उदासी में, बुलाये बिन ही आती हो !

    मंगलकामनाएं आपको !

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  9. एक लाजवाब एवं उत्‍कृष्‍ठ प्रस्‍तुति।

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  10. सुमन जी बहुत सुन्दर भाव ..एक सच..न जाने कब कविता आ जाती है कभी सोने नहीं देती कभी नहाने निराली है ..झमाझम सुहानी बारिश सी
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  11. बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

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  12. इस बार तो इस ब्लॉग पर सच में बहुत देर बाद आई है कविता ... पर पूरे जोबन के साथ आई है ...
    बहुत लाजवाब रचना है ...

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  13. सच में कविता का स्वभाव ही ऐसा है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  14. कविता के बारे में कविता. वाह!

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  16. मैं कविता कह रही हूँ आप लिखते रहिए ब्लॉग पर... यूँ न छोड़िये कविता को ..

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  17. कविता पर कविता ़़़ बहुत अच्छी रचना।

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  18. कविता पर कविता ़़़ बहुत अच्छी रचना।

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  19. बहुत सराहनीय रचना ।शुभ कामनाएं

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