गुरुवार, 9 जनवरी 2014

बीते कल को अलविदा कह कर ..

अच्छा था बुरा था 
जैसा भी था बीता 
बीते कल को 
अलविदा कह कर 
आज का कर
स्वागत सत्कार 
संदेह की नज़रों से 
देखने की बजाए 
आईए,उम्मीदों की 
नजरों से देखते है 
एक नए 
भविष्य को … !
   
    

11 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति आदरेया-
    आभार-
    नव वर्ष की शुभकामनायें --

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  2. मेरी पिछली पोस्ट कुछ ऐसे ही भाव लिये हुई थी.. बल्कि मैं तो इस कविता से आगे बढकर एक बात कहना चाह्ता हूँ कि जो गुज़र गया और आने वाला है उसपर हमारा वश नहीं.. हमें तो बस आज मिला है.. तो हर आज को एक नये उत्सव की तरह जीना ही ज़िन्दगी है!!
    अच्छी कविता!!

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  3. जरूरी है हर आगत के स्वागत करने का ... बिना शक शुबहा के ...
    भाव मय ...

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