सोमवार, 30 जून 2008

सर्दी आई

हवा ठंडी
रात ठंडी
स्वप्न मीठे
नींद मीठी
भाए माँ की ,
गोद मीठी
वसुधा की मृदु शय्या पर,
निशि ने वोड़ ली
काली रजाई
सर्दी आई

रिमझिम

रिमझिम आई बरखा
नभ में,
कड़अड़ कड़ कड़
बिजली चमकी
काले -काले बादल छाये रे
रिमझिम -रिमझिम
आई बरखा
ठंडी चली पुरवाई रे
बीत गए अब
दिन गर्मी के
नही रहे गर्म
लू के झोंके
ताप मिटा धरती का
जनजीवन में खुश हाली रे
कबसे आंगन में
रिमझिम बरसा बरस रही
कानो में रस घोल रही
झरझर- झरझर जैसे
लय ताल बद्ध संगीत रे
धीरे -धीरे हौले -हौले
खोल पिसारा नाच
मुग्ध मनमयूर नाच
नाच छम छनना नाच रे?

मई का महिना

गर्मी के दिन
मई का महिना
आग उगलता सूरज
पिघलती सड़क
भागते दौड़ते लोग
पसिनेसे तरबतर
चारो और मोटर गाड़ियों का शोर
सुभसे शाम निरंतर?
मंजिलोपर मंजिल
गगन चुम्बी इमारते
छोटे छोटे घर
छोटासा परिवार
बंद सब खिड़किया
झांकती नही चांदनी
छत ना आंगन
कूलर पंखे की घर-घर्र
रातभर
नींद मे डालते खलल
मछर
घुटन भरी जिंदगी
मुश्किल है जीना
मई का महिना