मंगलवार, 28 जून 2011

कागज की नाव ........( बालकविता )


डगमग डोले डगमग डोले
पानी ऊपर नाव रे
सखी, सहेली आओ देखो
कागज की ये नाव रे !
पानी बरसा तनमन हर्षा
खुशियों का इन्द्रधनुष खिला
तट के उस पार लिये चला
सुंदर सपनों का संसार रे
कागज़ की ये नाव रे !
तूफानों से ना ये घबराये
लहरों पर इतराती जाये
बिना मोल की विहार करायें
देखो कैसी इसकी शान रे
कागज़ की ये नाव रे !
गीत मेरे सुर तुम्हारे
आओ सब मिल-जुलकर गायें
भोला बचपन लौट न आये
नाचो देकर ताल रे !
डगमग डोले डगमग डोले
पानी ऊपर नाव रे !

गुरुवार, 16 जून 2011

छा गये बादल ......

घिर-घिर कर
आ गए बादल
नील गगन में
काले-काले
छा गए बादल !

सर्द हुए हवा के झोंके
कडाकड़ नभ में
बिजली चमके
तप्त धरा की
प्यास बुझाकर
नदियों में जल भरने
आ गए बादल
छा गए बादल !

वन उपवन में अब
होगी हरियाली
शुक,पीकी मैनायें
नाच उठेंगी
खेत-खलिहानों में
होगी खुशहाली
गाँव-गाँव शहर
अमृत जल बरसाने
आ गए बादल
छा गये बादल !

हरष-हरष कर वर्षा
कुछ ऐसी बरसी
चातक मन तृप्त हुआ
बूंद स्वाति की
मोती बनी
मन के आंगन में
छमाछम छम-छम
बूंदों के नुपूर
खनका गये बादल
बरस गये बादल !

बुधवार, 8 जून 2011

कैसी हो याद ?

ये आज
सुबह-सुबह
किसकी
यादोंकी
ख़ुशबू
श्वास-श्वास में,
कस्तूरी घोल
गई !
शब्दों के
कलि-दल खुले
भाव कुछ
हुये है
 सुरमई !
यादों की वह
नर्म धूप
सुनहरी
तन-मन छू
आँगन में,
पसर गई !

शुक्रवार, 3 जून 2011

हर फूल दुसरे से अलग है ! (बालकविता )

क्यों देते हो उपदेश
ऐसे बनो वैसे बनो
नक़ल करने पर,
देते हो सजा !
फिर क्यों कहते हो
बनो उसके जैसा !
पूछो माली से ....
उसके बाग़ के,
फूल न्यारे खुशबू न्यारी
क्या जूही क्या मोगरा
फिर भी उसको कितना प्यारा !
हम भी तुम्हारे बाग़ के फूल है !
हर फूल दुसरे से अलग है !
देना स्नेह का खाद-पानी, फिर
हम अपना फूल खिलायेंगे !
सारी दुनिया में हम अपनी
ख़ुशबू सारी बिखरायेंगे !