शनिवार, 24 दिसंबर 2011

नववर्ष की पूर्व संध्या पर .........


नववर्ष की पूर्व संध्या पर 
दो हजार ग्यारह की 
कुछ इस प्रकार रही 
 प्रमुख खबरे !

जनलोकपाल का लेकर अभियान 
अनशन का महत्व समझाकर
देश विदेशों में छाये रहे 
अन्ना हजारे !

धरती पर कुनबा बढ़कर 
पार कर गया सात अरब 
चीन के बाद भारत का 
दूसरा नंबर !

१२१ करोड़ जनसंख्या वाले 
 देश में बहुत कुछ बेचा जा 
सकता है, मतलब उनका 
आर्थिक विकास !

जीवन भर सुख साधन जोड़ 
मिटी नहीं सत्ता की भूख 
किसी ने खाए जुते और 
किसी ने खाए थप्पड़ !

शनिवार, 17 दिसंबर 2011

प्रेम क्या है ?


कभी किसी ने कहा....
प्रेम महज आत्मरति है 
या फिर भावनाओं का
आदान-प्रदान और
कुछ नहीं है प्रेम !
किस शब्द से लिखूं कि,
प्रेम क्या है ?
या निशब्द से कहूँ कि,
प्रेम क्या है ?
प्रेम कही ये तो नहीं ...
जिसके नाम मात्र से 
छाने लगती है खुमारी 
कानों में गूंजने
लगती है मंदीर क़ी
घंटियों क़ी आवाज !
सुनाई देने लगते है 
पवित्र अजान के स्वर ! 
तब हम किसी दिव्य
लोक में पहुँच जाते है 
प्रेम प्रार्थना बन जाता है 
तन चन्दन मन धूप 
बन जाता है !
कही हमारी ही 
नाभि से उठ रही 
कस्तूरी सुगंध तो 
नहीं है प्रेम ?

रविवार, 11 दिसंबर 2011

फिर भी ........


माँ ने बचपन में मुझे 
हाथ पकड़ कर चलना 
सिखाया बोलना सिखाया 
प्रेम करना सिखाया !

कविता ने मुझे फिर 
सजा संवार कर 
अलंकृत किया और  
शब्दों के जरिये आपसे 
दोस्ती करना सिखाया !

दोस्त थोड़े ही झूठ बोलते है ?
हर बार रचना को सुंदर कहते है 
थोडा भरोसा थोडा विश्वास 
थोडा लिखने का सलीका 
आ ही जाता है !

जैसे-जैसे ये विश्वास 
टूटने लगता है 
फिर से लिख देती हूँ 
एक कविता ताकि,आप फिर से 
कहो कविता अच्छी है !

मै जानती हूँ 
विश्वास अपना ही और 
भरोसा अपना ही काम आता है 
फिर भी .....