बुधवार, 29 अगस्त 2012

आरोपों के कटघरे में ....


सुना है कि,
इश्वर ने मनुष्य को 
जीवन के एक प्याले में
सुख भरकर दिया और 
यह कहा कि, इसे पियो 
और खुश रहो मस्त रहो 
दुसरे प्याले में दुःख भरकर 
दिया और यह कहा कि,
इसे पियो और जानो कि,
जीवन क्या है ?
और अक्सर मनुष्य 
सुख पीते-पीते यह 
भूल जाता है कि 
इश्वर क़ी कही हुई
दूसरी बात को,
इसी कारण शायद 
आरोपों के कटघरे में 
खड़ा कर देता है 
मनुष्य उसको ...
क्या पता इसीलिए 
लापता रहता होगा वो 
सजा के डर से .......!

शनिवार, 11 अगस्त 2012

जैसे चाहूँ चित्र बनाऊँ ... ( बाल कविता )


मन है मेरा कोरा कागज 
जैसे चाहूँ चित्र बनाऊँ !

फूल-पौधे पशु-पक्षी बनाऊँ,
हरी-भरी धरती पर 
महका-महका एक 
उपवन बनाऊँ !

मन न्यारे, मानव न्यारे 
पावन धरती पर एकता का 
एक सुंदर मंदिर बनाऊँ !

हिंद हिमाचल, यमुना गंगा 
बनाऊँ शान से लहराता तिरंगा !

जननी जन्मभूमि बनाऊँ 
प्रेम अहिंसा के रंगों से 
प्यारे भारत का चित्र सजाऊँ !!

बुधवार, 1 अगस्त 2012

हाईकू रचनाएँ !


रक्षा बंधन 
है भाई बहन का 
प्यारा बंधन !

थाल सजाये 
राह देखे बहना 
भाई न आया !

भाई को देख 
भर आये नयना 
स्नेह छलका !

तिलक माथे 
कलाई पर राखी
मन भावन !

भाई तुझ-सा 
हर जनम मिले 
कामना यही !

न हो विपदा 
भाई के जीवन में 
बहना सोचे !