गुरुवार, 11 सितंबर 2008

सवेरे सवेरे

सवेरे सवेरे
मीठे सपनों मे
मै खोई हुई थी
इस कदर नींद कुछ
गहरा गई थी
कि झटके से टूट गई
ये किसने दी आवाज मुझको
सवेरे सवेरे ?
उषा कबसे खड़ी
स्वर्ण कलश लिए
हात में
किसकी अगवानी में
हवायें  मीठी तान सुनाये
पंछी गीत मधुर गाये
दूर-दूर तक राह में
कौन बिछा गया
मखमली चादर हरी
सवेरे- सवेरे ?
कहो किसके स्वागत में
पलक पावडे बिछाये
इस किनारे पेड़
उस किनारे पेड़
और बीच पथ पर
लाल पीली कलियाँ
ये किसने बिछाये है फूल
सवेरे-सवेरे   ....