रविवार, 15 जनवरी 2012

चिड़िया का लक्ष्य ........


एक दिन एक चिड़िया ने 
आकाश में मंडराते-मंडराते 
दूर चमकते शुभ्र बादल को देखा 
और मन ही मन सोचा क़ि,
क्यों न मै उड़कर
उस शुभ्र बादल को छू लूँ 
उसने बादल को छूने का 
लक्ष्य बनाया 
पूरी ताकत से उस दिशा में 
उड़ने लगी चिड़िया  
किन्तु चमकता शुभ्र बादल 
एक जगह स्थिर नहीं 
रह पाता 
कभी पूरब तो कभी पश्चिम 
दिशा में चला जाता 
और कभी गोल-गोल 
चक्कर लगाता 
अथक प्रयासों के बाद 
जब चिड़िया बादल तक 
पहुँच पायी, अचानक 
बादल छंटने लगा 
चिड़िया क़ी पहुँच से 
ओझल हो गया 
यह देख कर चिड़िया ने 
कहा .....
मै भी कितनी पागल हूँ 
इस क्षणभंगुर बादल 
को नहीं, लक्ष्य तो बस 
उन पर्वत क़ी गर्वीली 
चोटियों को ही,
बनाना चाहिए ...........

शनिवार, 7 जनवरी 2012

सरदी आयी सरदी आयी ...... (बालकविता)


कुहरे में ठिठुरती भोर चिल्लाई
सरदी आयी सरदी आयी 
बदला मौसम बदली चाल 
सरदी ने किया बुरा हाल !

रजनी चाची देर तक सोई 
सूरज चाचा देर से जागा 
बहकी लहकी बोले पुरवाई 
सरदी आयी सरदी आयी !

खिली कलियाँ पंछी चहके 
मचल-मचल जंगल महके 
थरथर-थरथर देह कांपे
बंद करो सब खिड़की दरवाजे !

दुबक के दुशाले में दादी बोली 
कैसे गजब की सरदी आयी 
सिमट के बिस्तर में पापा बोले 
जल्दी लाओ गर्म चाय की प्याली !

ठंडी-ठंडी सर्द हवायें
मम्मी जगाये सुबह-सवेरे 
बजी घंटी आठ बजे 
स्कूल को देर हो न पाये !