बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

छुटते जा रहे है कुल -किनारे


दिन ब दिन 
सूखती  जा रही है 
जीवन सरिता 
छुटते जा रहे है 
कुल-किनारे 
समय था तब 
समझ न थी 
अब समझ है 
लग रहा है 
समय कम है 
न बीते एक 
लम्हा भी 
तेरी याद बिन 
रिक्त न बीते 
हे ईश्वर ,
ऐसे ही बीते 
तेरे ही गीत 
गुनगुनाते   
हर पल 
हर लम्हा  … 



शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

तुम्हारा पता …


तुम्हारा पता 
हर कोई 
बता देता है 
पर, 
कोई एक 
बन जाता है 
मील का पत्थर 
इन्ही निशानों का 
लेकर सहारा 
चल तो देती हूँ 
एक कदम 
तुम्हारी  ओर  
इसी उम्मीद में कि 
तुम  भी चल 
दोगे प्रेम से 
दो कदम 
मेरी ओर     … !!