बुधवार, 20 मार्च 2013

क्षणिकाएँ ...


जैसे ...
आकाश की 
पृष्ठभूमि पर 
बादल
जैसे ...
सागर की 
पृष्ठभूमि पर 
लहर
वैसे ही 
चेतना की 
पृष्ठभूमि पर
विचार ...!

***
सुख के क्षण 
सरपट दौड़ते है 
दुःख के क्षण 
काटे नहीं 
कटते 
लंगड़ा कर 
चलते है 
शायद इसे ही 
समय सापेक्षता का 
सिद्धांत कहते है ...!