गणेश चतुर्थी जब-जब आती !
पढाई से हमको छुट्टी मिलती !!
इंतजार हम पल-पल करते
वर्ष में क्यों आप एक बार आते !!
काश आपकी भी होती कार
चूहे पर क्यों होते सवार ?
गांव -गांव में, शहर-शहर में !
गली-गली में, घर-घर में !!
बरसो से आप आते - जाते !
प्रेम की खातिर मोदक खाते !!
बारहों महीने पानी में नहाते
क्या बोर नहीं हो जाते ?
एक बार मेरे भी घर आओ !
ज्ञान की जोती जलाकर जाओ !!
मेरी भी पुकार कुछ सुनना !
यही है मेरी गणेश जी प्रार्थना !!
पढाई से हमको छुट्टी मिलती !!
इंतजार हम पल-पल करते
वर्ष में क्यों आप एक बार आते !!
काश आपकी भी होती कार
चूहे पर क्यों होते सवार ?
गांव -गांव में, शहर-शहर में !
गली-गली में, घर-घर में !!
बरसो से आप आते - जाते !
प्रेम की खातिर मोदक खाते !!
बारहों महीने पानी में नहाते
क्या बोर नहीं हो जाते ?
एक बार मेरे भी घर आओ !
ज्ञान की जोती जलाकर जाओ !!
मेरी भी पुकार कुछ सुनना !
यही है मेरी गणेश जी प्रार्थना !!
3 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी बाल कविता ...बधाई ..
bachhon ko liye achhi rachna badhai
सुदंर बाल गीत ।
एक टिप्पणी भेजें