मंगलवार, 14 सितंबर 2010

मेरे भी घर आओ गणपति (बालकविता )

गणेश चतुर्थी जब-जब आती !
पढाई से हमको छुट्टी मिलती !!


इंतजार हम पल-पल करते
वर्ष में क्यों आप एक बार आते !!

काश आपकी भी होती कार
चूहे पर क्यों होते सवार ?

गांव -गांव में, शहर-शहर में !
गली-गली में, घर-घर में !!

बरसो से आप आते - जाते !
प्रेम की खातिर मोदक खाते !!

बारहों महीने पानी में नहाते
क्या बोर नहीं हो जाते ?

एक बार मेरे भी घर आओ !
ज्ञान की जोती जलाकर जाओ !!

मेरी भी पुकार कुछ सुनना !
यही है मेरी गणेश जी प्रार्थना !!

3 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत अच्छी बाल कविता ...बधाई ..

Sunil Kumar ने कहा…

bachhon ko liye achhi rachna badhai

Asha Joglekar ने कहा…

सुदंर बाल गीत ।