रुनझुन-रुनझुन
ज्योति की पायल
बजी जागी प्रभात
जैसे नभ में छिड़की
कुंकुंम लाली
जगमग-जगमग
आई है दीवाली!
फूल-सी महके
जीवन फुलवारी
आँगन-आंगन
सजी रंगोली
बंधी तोरण द्वार -द्वार
फूल मालाओंकी
झालर न्यारी
मनभावन अल्पना
प्रांगण सुचित्रित कर
सुख बन सुषमा बन
घर-घर छायी
आई है दीवाली!
तम की विकट
निशा बीती
चिर सत्य की
विजय हुई
श्री रामचंद्र की
हुई जय जयकार
दिग-दिगंत के
छोर तक गूंजी
जयभेरी
दीप जले खुशियों के
जगमग -जगमग
अलोक वृष्टि
चहुओर हुयी
आई है दिवाली !
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7 टिप्पणियां:
सुन्दर रचना!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
Sunder kawita men sunder deepawali warnan. Deepawali kee shubh kamnaen aapko bhee.
सुन्दर रचना! दीपावली की शुभकामनाये
फूल-सी महके
जीवन फुलवारी
आँगन-आंगन
सजी रंगोली
बंधी तोरण द्वार -द्वार
फूल मालाओंकी
झालर न्यारी
सुमन जी क्या कहूँ ....?
आपने तो आँगन में फूल , तोरण,रंगोली सब सजा रखी है ....
तो लक्ष्मी तो जरुर आई होगी आपके द्वार .....?
बड़ी सुन्दर कविता...बधाई.
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'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...
आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं
sanjaya ji aapke khubsurat coments ke liye dhanyavad..........
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