बहुत ही अच्छा लिखा है .
bahut sudar likha hai.
अब तो जागो मन श्वेत परिधान पहन कर स्वागत करनेबड़े सवेरे आयी भोर ......!!sakaratmak bhaw jagati rachna
सुंदर पंक्तियाँ......
कविता के भाव पसंद आए।
सुहानी भोर ... अच्छी प्रस्तुति
bhaavpurn sundar kavita....
वाह ...बहुत बढि़या ।कल 16/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है। धन्यवाद!
प्रातःकाल का सुंदर वर्णन ॥
वाह सुन्दर भोर सी रचना...सादर....
मन की भोर बहुत ही उजली होती है. सुंदर रचना.
सदा जी की हलचल से चले आये आपके ब्लॉग की ओर मन खिल गया है जब ये पढा कि 'बड़े सवेरे आयी भोर' बहुत बहुत आभार सुमन जी.समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
saral aur sunder......
अब तो जागो मन श्वेत परिधान पहन कर स्वागत करनेबड़े सवेरे आयी भोर ......!!sunder bhav..
bahut hi acchi rachana hai...
सिवाय मनुष्य के,समस्त प्राणी सूर्योदय के आसपास ही अपनी दिनचर्या प्रारम्भ करते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि केवल मनुष्य का जीवन प्रकृति से अधिकतम दूर है।
बहुत सुन्दर भाव...
अच्छा लिखा है .
वाह सुन्दर रचना...
वाह यह भोर ...!
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20 टिप्पणियां:
बहुत ही अच्छा लिखा है .
bahut sudar likha hai.
अब तो जागो मन
श्वेत परिधान पहन कर
स्वागत करने
बड़े सवेरे
आयी भोर ......!!sakaratmak bhaw jagati rachna
सुंदर पंक्तियाँ......
कविता के भाव पसंद आए।
सुहानी भोर ... अच्छी प्रस्तुति
bhaavpurn sundar kavita....
वाह ...बहुत बढि़या ।
कल 16/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।
धन्यवाद!
प्रातःकाल का सुंदर वर्णन ॥
वाह सुन्दर भोर सी रचना...
सादर....
मन की भोर बहुत ही उजली होती है. सुंदर रचना.
सदा जी की हलचल से चले आये आपके ब्लॉग की ओर
मन खिल गया है जब ये पढा कि 'बड़े सवेरे आयी भोर'
बहुत बहुत आभार सुमन जी.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
saral aur sunder......
अब तो जागो मन
श्वेत परिधान पहन कर
स्वागत करने
बड़े सवेरे
आयी भोर ......!!
sunder bhav..
bahut hi acchi rachana hai...
सिवाय मनुष्य के,समस्त प्राणी सूर्योदय के आसपास ही अपनी दिनचर्या प्रारम्भ करते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि केवल मनुष्य का जीवन प्रकृति से अधिकतम दूर है।
बहुत सुन्दर भाव...
अच्छा लिखा है .
वाह सुन्दर रचना...
वाह यह भोर ...!
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