तितली रानी, तितली रानी
कभी इस डाल पर, कभी उस डाल पर
कभी इस फूल पर, कभी उस फूल पर
उड़ती फिरती हो तुम फुलरानी !
हाथ लगाऊँ तो, पंख फट जाते है
डोर बांधु तो, पाँव टूट जाते है
नाजुक कितनी हो तुम शर्मीली !
दूर घर से तुम कब निकलती हो
कितने सारे रंग तुम बदलती हो
पल-पल छलती हो, तुम जादूगरनी !
तुम आती हो तो, फूल खिलते है
तुम आती हो तो, हम खुश होते है
सब के मन को मोहती हो,
तुम मनमोहिनी....
तितली रानी, तितली रानी
उडती फिरती हो तुम फुलरानी !
16 टिप्पणियां:
तितली ने तो मन मोह लिया ...
मनमोहक रचना
.बेहतरीन.
हरी-भरी फुलवारी उजड़ी
दुनिया इतनी सिमटी सी
बच्चे दिखते नहीं बाग़ में
क्यों,सोचे अब तितली भी!
मनमोहक प्रस्तुति ... आभार ।
सुंदर सुंदर.......
अति सुंदर.................
सादर.
bhaut hi khubsurat rachna....
कितने सारे रंग तुम बदलती हो
पल-पल छलती हो, तुम जादूगरनी !
तुम आती हो तो, फूल खिलते है
तुम आती हो तो, हम खुश होते है
सब के मन को मोहती हो,
तुम मनमोहिनी....
तितली रानी, तितली रानी
तितली रानी ने तो मन मोह लिया बचपन याद आ गया पीछे पीछे जब हम सब को दौड़ती थी छकाती थी ...सुन्दर बाल रचना सुमन जी जय श्री राधे -भ्रमर ५
कितनी सुंदर बाल कविता है । मराठी की, छान किती दिसते फुल पाखरू, कविता याद आ गई ।
pyari titli:)
यह बाल गीत मन को भाया।
बहोत खूब
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bahut hi sundar balgeet likha hai apne bilkkul mn ko chho gaya
सुन्दर भाव...
तितली पर लिखआ बाल गीत बन पड़ा है. शुभकामनाएँ.
तितली पर लिखा बाल गीत बन पड़ा है. शुभकामनाएँ.
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