मन है मेरा कोरा कागज
जैसे चाहूँ चित्र बनाऊँ !
फूल-पौधे पशु-पक्षी बनाऊँ,
हरी-भरी धरती पर
महका-महका एक
उपवन बनाऊँ !
मन न्यारे, मानव न्यारे
पावन धरती पर एकता का
एक सुंदर मंदिर बनाऊँ !
हिंद हिमाचल, यमुना गंगा
बनाऊँ शान से लहराता तिरंगा !
जननी जन्मभूमि बनाऊँ
प्रेम अहिंसा के रंगों से
प्यारे भारत का चित्र सजाऊँ !!
14 टिप्पणियां:
जो कल्पना की गई है, इस कविता में, वह साकार हो!
भावो को संजोये रचना...
बाल मन की भोली अभिव्यक्ति....
बहुत सुन्दर..
सादर
अनु
सुन्दर प्यारा भारत देश बनाऊं
बहुत सुन्दर भाव...
:-)
सुंदर भावों से सजी बाल कविता. आभार.
जननी जन्मभूमि बनाऊँ
प्रेम अहिंसा के रंगों से
प्यारे भारत का चित्र सजाऊँ !!
बहुत सुंदर भाव
उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवार के चर्चा मंच पर ।।
सशक्त चित्र
वाह सुमन जी, बहुत प्यारी रचना ।
सब कुछ बनाइये
जरूर बनाइये
बनाते चले जाइये
जो जो बन जाये
हमको भी दिखाइये !
बहुत सुन्दर .. सार्गार्हित बाल रचना ... देश प्रेम की भावना को कोमलता से पिरोया है ...
सच में बाल सुलभ कविता
बहुत सुन्दर कविता सुमन जी |नमस्ते
मन यदि कोरा हो तो उस पर ये चीज़ें ही उकेरने लायक़ हैं।
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