चाँद ,
महक तुम्हारी
बढ़ जायेगी खास
फलक पर आ
हम भी महक
ले जरा ...
जी भर कर
निहार लेंगे
तूम भी
निहार लो
हमे जरा ....
आज
बादलों में क्यों
छूप गये हो तूम
स्याह बादल
हटाओ जरा ....
महक तुम्हारी
बढ़ जायेगी खास
फलक पर आ
हम भी महक
ले जरा ...
जी भर कर
निहार लेंगे
तूम भी
निहार लो
हमे जरा ....
आज
बादलों में क्यों
छूप गये हो तूम
स्याह बादल
हटाओ जरा ....
7 टिप्पणियां:
बहुत ही अच्छी कविता |ब्लॉग पर टिप्पणी करने हेतु आभार
वाह ... बहुत खूब।
पास आओ ... थोड़ी चांदनी से हम भी गुफ्तगू कर लें
बहुत सुन्दर,, प्यारी रचना..
:-)
Bahut Sunder....
बहुत सुंदर रचना |
मेरे ब्लॉग में भी पधारें |
वाह चांद महकता हुआ महकाता हुआ । बढिया ख्याल सुमनजी ।
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