शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

भावना में बह गये कविता के छंद ...

      
      बारिश  भी ,
बड़ी अजीब होती  है 
    कहीं बूंद-बूंद को 
       मानव तरसे 
           कहीं 
     बाढ़  ले आयी    ...
                   
        कही  बारिश  
साथ ले आयी किसी की 
      यादों  की  सौंधी 
            गंध 
  भावना में बह गये 
       कविता के 
         छंद ...!

19 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

बहुत बढ़िया भाव-
सुन्दर प्रवाह-
सादर-

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बारिश भी शायद भेदभाव करती है जबकि उसे समान व्यवहार करना चाहिये. नाइंसाफ़ी है ये.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

कही बारिश
साथ ले आयी किसी की
यादों की सौंधी
गंध
भावना में बह गये
कविता के
छंद ...!

वाह, बहुत ही खूबसूरत शब्द.

रामराम.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर......
बह कर हम तक आ पहुंचे....

सादर
अनु

Ranjana verma ने कहा…

भावना में बह गए कविता के छंद... बहुत सुंदर !!सादर

Ranjana verma ने कहा…

भावना में बह गए कविता के छंद... बहुत सुंदर !!सादर

Rajendra kumar ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।

कुमार राधारमण ने कहा…

बारिश कविता मेघ की
भाव बहे झहराए....

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

बहुत बढ़िया

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

प्रवाहमयी सुंदर भाव

दिगम्बर नासवा ने कहा…

निराली है ये बारिश ...
आती है तो भेदभाव नहीं करती ...

Satish Saxena ने कहा…

आज वारिश साथ ले आई किसी की याद को
छंद सारे हंस पड़े , महसूस तेरी गंध कर !

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

वाह बहुत खूब

Asha Joglekar ने कहा…

भावना में बह गये कविता के छंद .......क्या बात है सुमन जी ।

Unknown ने कहा…

भावना में बहे छंद ही तो दिल के करीब होते हैं

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

bahut sundar abhivyakti!
latest दिल के टुकड़े
latest post क्या अर्पण करूँ !

राजीव रंजन गिरि ने कहा…

सुन्दर ..अविरल बहते शब्द ..बधाई

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

लाजवाब