सोमवार, 20 जुलाई 2009

मेरा घर

आइये,
ये है हमारा छोटा घर
स्वीट होम, लिखा है दरवाजे
पर !
इधर फाइल में उलझे है पापा
कोर्ट कचेरी का इनका पेशा
बीजी रहते है हमेशा !
उधर किचन में हलवा बना
रही है मम्मी,
पयार में उसके नही कोई
कमी !
उस स्टडी रूम में भय्या है पढ़ता
करियेर की खाती उसको
चिंता!
कभी कभार ही मुझको है मिल
पात!
दूर कोने में मई , आकेली उदास
तभी कविता मेरी आती है पास
मन की सारी बात वहा जान
जाती है
चुपके से कान में कुछ
कह जाती है !

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