सुबह की सिंदूरी लाली में,
सूरज की सुनहरी किरणों में,
ओस बिखरी हरियाली में,
किस चित्रकार की तुलिका ने,
रंग भरे है इनमे मोहक !
और मै अपने घर आंगन की,
रंगोली में रंग भरती रही जीवनभर !
हवावों की सायं -सायं में ,
पायल -सी खनकती पत्तियोंमे ,
बारिश की रिमझिम बरसातों में,
किस गायक के सुरों ने,
स्वर भरे इनमे अद्भुत !
और में अपने मन वीणा के तारों में ही,
उलझी रही जीवनभर !
पूनम की मदभरी रातों में,
चन्द्र वदना यामिनी को
सागर की लहरों पर,
किस कवी की कलम ने
कविता लिख भेजी मनोहर !
और मै अपनी आधी -अधूरी
कविताओं पर मुग्ध होती रही जीवनभर!!
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6 टिप्पणियां:
उस महान, अलौकिक चित्रकार का वर्णन आपने बहुत ही सुंदर शब्दों मे किया है...बधाई!
और में अपने मन वीणा के तारों में ही,
उलझी रही जीवनभर !
सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
सुबह की सिंदूरी लाली में,
सूरज की सुनहरी किरणों में,
ओस बिखरी हरियाली में,
किस चित्रकार की तुलिका ने,
रंग भरे है इनमे मोहक !
सुमन जी ,
मन के भावों को बड़ी सुन्दरता से पिरोया है आपने .....
गीत रूप में गेय सी कविता सहज ही होंठों पे थिरकती है ......!!
arunaji,sunil ji,harkirat ji aapka bahut bahut dhnyavad.
बहुत सुंदर
भावनापूर्ण
atisundar!!
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