मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

जीवन को महकाऊं कैसे

तू बता दे फूल मुझे ..........
मै तुझ सी खिल पाऊं कैसे?
तेरे जीवन पथ पर,
बीछे है कांटे फिर भी
उर में मुस्कान समेटे
पल-पल हवा के झोंके से,
खुशबू जग में ,
बिखराता है तू
तुझ जैसी खुशबु बिखराकर
जीवन को महकाऊ कैसे
तुझ सी खिल पाऊ कैसे?
सुबह को खिलता
साँझ मुरझाता
मंदिर मज़ार पर
बलिदान चढता
कितना सफल है
जीवन तेरा
मुझको खलती मेरी
नश्वरता !
तुझ जैसा बलिदान चढ़ाकर
जीवन को सफल
बनाऊ कैसे ? तुझ सी
खिल पाऊ कैसे?

17 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

jo phulon ko itni bariki se dekh sakta hai, uske liye phulon sa banna kya kathin !... darshnik rachna

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

एक ही रास्ता है.... बहार हो या खिज़ां .. खिलखिलाते रहिए :)

विशाल ने कहा…

बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.
ढेरों बसंतई सलाम.

Rajesh Kumar 'Nachiketa' ने कहा…

ये उत्तर मिल जाए तो कहें ही क्या......सब को हंसना आ जाए और सब को खुश रहना..
चौथी पंक्ती में बिछे का बीछे हो गया है लगता है....
हमसे लगता है आपकी कुछ नाराजगी हो गयी है....
वसंत पंचमी की शुभकामना....

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

तुझ जैसा बलिदान चढ़ाकर
जीवन को सफल
बनाऊ कैसे ?

बहुत सुंदर भाव हैं सुमन जी .....

संजय भास्‍कर ने कहा…

..दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
बहुत ही कोमल भावनाओं की कोमल रचना..

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना ...बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें
कई दिनों से बाहर होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

Sunil Kumar ने कहा…

सुमन जी, प्रश्न आपका मुश्किल नहीं है पर उत्तर बहुत मुश्किल से निकलता है , बधाई

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

पुष्प का बिम्ब लेकर रची जीवन में झांकती रचना ..... बहुत सुंदर सुमनजी...

Suman ने कहा…

sabhi mitronka anek aabhar.....

Dr Varsha Singh ने कहा…

अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।

केवल राम ने कहा…

फूल को समझना और उसकी तरह जीवन जीने की कल्पना से सजी कविता बहुत प्रेरणादायी है

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bahut khubshurat bhaw..:)
follow kar raha hoon, aage aate rahunga...:)

Suman ने कहा…

mukesh ji,
swagat hai mere blog par........

Satish Saxena ने कहा…

कुछ अलग सी रचना ... !! शुभकामनायें!

Satish Saxena ने कहा…

कुछ अलग सी रचना ... !! शुभकामनायें!

सदा ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ...इस बेहतरीन रचना के लिये बधाई ।