एक अदद
उधडी-सी जिंदगी
सीते-सीते
भले ही दिन का
अंत आया पर
मुश्किलों का
अंत कब आया !
उबड़-खाबड़
जीवन की इन
पथरीली राहों पर
कब तक है चलना
थके कदम कहते है
रुक जाना
समय कहता है
चलते रहना
भले ही सांसो का
अंत आया पर
सफ़र का अंत
कब आया !
उधडी-सी जिंदगी
सीते-सीते
भले ही दिन का
अंत आया पर
मुश्किलों का
अंत कब आया !
उबड़-खाबड़
जीवन की इन
पथरीली राहों पर
कब तक है चलना
थके कदम कहते है
रुक जाना
समय कहता है
चलते रहना
भले ही सांसो का
अंत आया पर
सफ़र का अंत
कब आया !
20 टिप्पणियां:
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के.... :)
चलने का नाम ही ज़िंदगी है ...
यह चक्र तब तक चलता रहेगा,जब तक इस बात का संतोष न हो कि जीवन को उसकी पूर्णता में जिया गया।
Bahut hi Sunder ...Sakaratmak Bhav...
एक अदद
उधडी-सी जिंदगी
सीते-सीते
भले ही दिन का
अंत आया पर
मुश्किलों का
अंत कब आया !... सोचती रही , सीती रही
आपकी पोस्ट की हलचल आज (09/10/2011को) यहाँ भी है
प्रेरक रचना ।
मुश्किलों के सफ़र का अंत नहीं है.
जीवन दर्शन दाई इस रचना के लिए आभार .प्रेरक है यह रचना .कर्म की और लेजाती है हर पल को .
प्रेरित करती रचना.....
"ऊंचे नीचे राते और मंजिल तेरी दूर....
सार्थक/प्रेरक रचना...
सादर बधाई....
bhaut hi prabhaavshalo abhivaykti...
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति..
चलते रहना
भले ही सांसो का
अंत आया पर
सफ़र का अंत
कब आया !
....गहन जीवन दर्शन का सटीक चित्रण...सच है साँसों का अंत प्रारंभ है एक अगले सफर का...
Zindagi thamti kab hai...bas chalte jana hai..
बहुत सुन्दर रचना...और अच्छा ब्लॉग.बधाई.
सुंदर जीवन सार से भरी यह कविता
यही देगी ऊर्जा चलते रहने की ।
प्रभावशाली प्रस्तुति
साँसों के अंत पर ही सफर खत्म होता है ... अच्छी प्रस्तुति
अच्छे शब्द
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