बुधवार, 11 अप्रैल 2012

भाव असीम है आकाश की तरह ...


जीवन के कुछ महत्वपूर्ण
बातों को समझने और 
समझाने से पहले उस 
विषय जानकारी की 
विशिष्ट योग्यता का होना 
अनिवार्य शर्त है !
इसके अभाव में जो कुछ 
कहना चाहा था अनकहा 
रह जाता है !
जो नहीं कहना चाहा था 
और मुखर हो जाता है 
शायद इसीलिए .... 
उन शब्दों के अर्थ कम 
अनर्थ ज्यादा निकाले जाते है !
जब कोई एक चित्रकार 
कोरे कागज पर,
आकाश का चित्र बनाये 
निश्चित ही वह आकाश 
आकाश नहीं होता 
आकाश तो वह होता है 
जो सब जगह घेर लेता है 
किन्तु चित्र में आकाश 
कहाँ घेर पाता है सब कुछ 
चित्रित आकाश सिमित है !
ऐसे ही कागज पर लिखे 
हुये शब्द भाव कहाँ घेर 
पाते है तभी शब्द सिमित 
और भाव असीम है 
आकाश की तरह !

15 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

ऐसे ही कागज पर लिखे
हुये शब्द भाव कहाँ घेर
पाते है तभी शब्द सिमित
और भाव असीम है
आकाश की तरह !

Ati Sunder....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

आकाश तो वह होता है
जो सब जगह घेर लेता है ... और घेरकर भी विस्तार देता है

Rajesh Kumari ने कहा…

aakash ki tarah bhaav aseemit hain kahan ukere jaate hain poorntah....achche bhaav ...bahut sundar

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

कभी कभी सीमित शब्दों में भी सारा जहान समां जाता है.........
जैसे आपकी इस कविता में,..........

सुंदर भाव...

कुमार राधारमण ने कहा…

इन्हीं अर्थों में,मौन को विशिष्ट माना गया है।

मनोज कुमार ने कहा…

भाव को शब्दों में बांधना आसान नहीं ..

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सुंदर भाव.

संजय भास्‍कर ने कहा…

पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

....... बेहद शानदार प्रस्तुति रचना के लिए बधाई स्वीकारें...!!

sm ने कहा…

बहुत बढ़िया कविता

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

सही है-
भाव आकाश की तरह असीम है।

Sunil Kumar ने कहा…

शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

wah Suman ji ....bilkul lajbab prastui ....badhai sweekaren

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

wah Suman ji ....bilkul lajbab prastui ....badhai sweekaren

दिगम्बर नासवा ने कहा…

भाव तो आकाश की तरह हैं .. पर शब्द और चित्र फिर भी जरूरी है एहसास के लिए ...

Asha Joglekar ने कहा…

तभी शब्द सीमित हैं और भाव अनंत ।
बहुत ही सुंदर सुमन जी ।