जीवन के कुछ महत्वपूर्ण
बातों को समझने और
समझाने से पहले उस
विषय जानकारी की
विशिष्ट योग्यता का होना
अनिवार्य शर्त है !
इसके अभाव में जो कुछ
कहना चाहा था अनकहा
रह जाता है !
जो नहीं कहना चाहा था
और मुखर हो जाता है
शायद इसीलिए ....
उन शब्दों के अर्थ कम
अनर्थ ज्यादा निकाले जाते है !
जब कोई एक चित्रकार
कोरे कागज पर,
आकाश का चित्र बनाये
निश्चित ही वह आकाश
आकाश नहीं होता
आकाश तो वह होता है
जो सब जगह घेर लेता है
किन्तु चित्र में आकाश
कहाँ घेर पाता है सब कुछ
चित्रित आकाश सिमित है !
ऐसे ही कागज पर लिखे
हुये शब्द भाव कहाँ घेर
पाते है तभी शब्द सिमित
और भाव असीम है
आकाश की तरह !
15 टिप्पणियां:
ऐसे ही कागज पर लिखे
हुये शब्द भाव कहाँ घेर
पाते है तभी शब्द सिमित
और भाव असीम है
आकाश की तरह !
Ati Sunder....
आकाश तो वह होता है
जो सब जगह घेर लेता है ... और घेरकर भी विस्तार देता है
aakash ki tarah bhaav aseemit hain kahan ukere jaate hain poorntah....achche bhaav ...bahut sundar
कभी कभी सीमित शब्दों में भी सारा जहान समां जाता है.........
जैसे आपकी इस कविता में,..........
सुंदर भाव...
इन्हीं अर्थों में,मौन को विशिष्ट माना गया है।
भाव को शब्दों में बांधना आसान नहीं ..
सुंदर भाव.
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
....... बेहद शानदार प्रस्तुति रचना के लिए बधाई स्वीकारें...!!
बहुत बढ़िया कविता
सही है-
भाव आकाश की तरह असीम है।
शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई
wah Suman ji ....bilkul lajbab prastui ....badhai sweekaren
wah Suman ji ....bilkul lajbab prastui ....badhai sweekaren
भाव तो आकाश की तरह हैं .. पर शब्द और चित्र फिर भी जरूरी है एहसास के लिए ...
तभी शब्द सीमित हैं और भाव अनंत ।
बहुत ही सुंदर सुमन जी ।
एक टिप्पणी भेजें