शुक्रवार, 15 जून 2012

एक ऐसी पाठशाला चाहिए हमको ... ( बाल कविता )



खेल-खेल में समझाए सबको,
एक ऐसी पाठशाला चाहिए हमको 
पीठ पर भारी बस्तों का बोझ नहीं,
कभी शिक्षा मन पर भार न हो !
जहाँ ऊँच-नीच का भेद नहीं,
शिक्षा बेचने का व्यापार न हो !
मोटर-गाड़ियों का शोर नहीं,
खेलने - कूदने का मैदान हो !
कक्षा में रैंक का सिस्टम नहीं,
महत्वाकांक्षा की होड़ न हो !
परीक्षाएँ चरित्र की पहचान नहीं,
खेल-खेल में समझाएँ सबको !
एक ऐसी पाठशाला चाहिए हमको !!

15 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

काश की ऐसी पाठशाला होती...
बच्चे धन्य हो जाते...

बहुत सुन्दर भाव सुमन जी.
सादर.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

एक ऐसी पाठशाला ... जिसमें ज़िन्दगी की मुस्कान हो

Amrita Tanmay ने कहा…

मन ऐसी ही पाठशाला में जाने को ललच उठा..

मनोज कुमार ने कहा…

इस तरह से संपूर्ण व्यक्तित्व विकास होगा।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बच्चों के मन की सच्ची सच्ची कही..... सुंदर बाल रचना

Bharat Bhushan ने कहा…

ऐसी पाठशाला हो तो क्या बात है. सुंदर रचना.

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

यह कल्पना साकार हो जाए।
सुंदर कविता।

कुमार राधारमण ने कहा…

अब तो यह सब ख़्वाब की बातें लगती हैं। न समय वह रहा,न बच्चे बच्चे रहे।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बच्चों की समस्या पे सही ध्यान दिया है आपने ....

Asha Joglekar ने कहा…

वाकई ऐसी पाठशाला जरूरी है ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ऐसी पाठशाला भारत में कहाँ ? सुंदर कविता

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना..
काश ऐसी पाठशाला बन जाती..
:-)

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव सुमन जी
प्रशंसनीय रचना - बधाई
नई पोस्ट ....कहीं ऐसा तो नही पर आपका स्वगत है

संजय भास्‍कर ने कहा…

आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 14/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!