बुधवार, 29 अगस्त 2012

आरोपों के कटघरे में ....


सुना है कि,
इश्वर ने मनुष्य को 
जीवन के एक प्याले में
सुख भरकर दिया और 
यह कहा कि, इसे पियो 
और खुश रहो मस्त रहो 
दुसरे प्याले में दुःख भरकर 
दिया और यह कहा कि,
इसे पियो और जानो कि,
जीवन क्या है ?
और अक्सर मनुष्य 
सुख पीते-पीते यह 
भूल जाता है कि 
इश्वर क़ी कही हुई
दूसरी बात को,
इसी कारण शायद 
आरोपों के कटघरे में 
खड़ा कर देता है 
मनुष्य उसको ...
क्या पता इसीलिए 
लापता रहता होगा वो 
सजा के डर से .......!

11 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

इंसान खुद का किया नहीं देखता .... ईश्वर को ही कटघरे में खड़ा कर देता है ...बढ़िया प्रस्तुति

रश्मि प्रभा... ने कहा…

दूसरा प्याला बिना पिए पहले प्याले का स्वाद दुर्लभ है

सदा ने कहा…

वाह ... बहुत बढिया ।

कुमार राधारमण ने कहा…

मनुष्य इतनी नीचता पर उतर आया है कि अब बाक़ी भी यही रह गया है।

कुमार राधारमण ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
संजय भास्‍कर ने कहा…

अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह...
गहन अभिव्यक्ति....

सादर
अनु

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच कहा है इंसान सुख के चलते दुःख भूलने लगता है जो जीवन का सत्य है ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत बढ़िया ...ईश्वर भी सज़ा के डर से लापता है ।

Asha Joglekar ने कहा…

वाह सुंदर जीवन दर्शन । ईश्वर भी मनुष्य को दानव बनते देख निराश है कहां तो उसने इसकी रचना अपनी तरह बनाने के लिये की थी ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत गहन ...