शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

बदलाव ...


आश्रम में तोड़ फोड़ 
शिविर में लगाई आग 
विरोध के दौरान 
थोडा धैर्य रखिए 
हो रहा बदलाव ...!

        ***
तब उस विंडो के सामने 
खड़े रहने की थी मनाई 
अब इस विंडो के सामने 
दिन-रात बैठने आजादी 
क्या यह बदलाव नहीं ...?

4 टिप्‍पणियां:

Ramakant Singh ने कहा…

बदलाव चाहे सार्थक हो या निरर्थक या फिर नकारात्मक है तो बदलाव ही

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बदलाव है .... क्योंकि खुद को समझने,मानने की समझ आई है

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति |
बढ़िया विषय |
शुभकामनायें आदरेया ||

Asha Joglekar ने कहा…

बदलाव ही आना चाहिये । हम में भी औरों में भी ।