कैसी विडंबना ...?
वाजिब चिंता-आभार आदरेया ||
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है
गंगा के प्रति आपका अगाध प्रेम छलकता है
सार्थक
पापियों के पाप धो-धो के गंगा मैली होती जा रही है।
बहुत ही सुन्दर भावनाएं व्यक्त की हैं आपने | आभार Tamasha-E-ZindagiTamashaezindagi FB Page
'राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते धोते'- आज इस पंक्ति का अर्थ समझ आ गया |
कई बार,शरीर के प्रति होश ही अशरीरी-बोध में सहायक होता है।
सटीक बात काही है :):)
बिल्कुल सच कहा है...
आपका स्नेह मिला आभार |अच्छी कविता |
सच कहा है ... यही तो विडंबना है आज की ...
बहुत बढि़या- सारिक खानhttp://sarikkhan.blogspot.in/
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14 टिप्पणियां:
कैसी विडंबना ...?
वाजिब चिंता-
आभार आदरेया ||
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है
गंगा के प्रति आपका अगाध प्रेम छलकता है
सार्थक
पापियों के पाप धो-धो के गंगा मैली होती जा रही है।
बहुत ही सुन्दर भावनाएं व्यक्त की हैं आपने | आभार
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
'राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते धोते'- आज इस पंक्ति का अर्थ समझ आ गया |
कई बार,शरीर के प्रति होश ही अशरीरी-बोध में सहायक होता है।
सटीक बात काही है :):)
बिल्कुल सच कहा है...
आपका स्नेह मिला आभार |
अच्छी कविता |
सच कहा है ... यही तो विडंबना है आज की ...
बहुत बढि़या- सारिक खान
http://sarikkhan.blogspot.in/
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