शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

कौन नींद से मुझे जगाता ...


अक्सर मै 
सोचती हूँ 
फिर भी 
मन है कि 
समझ न पाता 
साँझ-सवेरे 
नील गगन में, 
अनगिनत 
झिलमिल दीप 
कौन जलाता 
कौन बुझाता !
भोर से पहले 
पंछी जागते,
फूल,पत्तों पर 
कौन धवल 
मोती बिखराता !
सवेरे-सवेरे 
फूल खिल जाते, 
हवाओं में कैसे 
सौरभ भर जाता !
पल भर में 
भौरों को कौन 
सन्देश पहुंचाता !
कोयल के सुरीले 
कंठ से गाकर
कौन नींद से 
मुझे जगाता .....?

14 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्यारी सी रचना

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सच कौन है वो जीवन का संचालक ..... बहुत प्यारी रचना

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

sacchi bat ..kaun hai ...kabhi samne to aaye ...

रविकर ने कहा…

सटीक प्रस्तुति ||
आभार आदरेया ||

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत प्यारी सुन्दर रचना.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये तो प्रकृति ... उस ईश्वर का कमाल है जिसको कोई देख नहीं पाता है ...

Asha Joglekar ने कहा…

सचमुच कौन । वही तो नही जिसके बलबूते पर हम वह सब करते हैं जो आनंद देता है ।

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

खूबसूरत भाव

Ramakant Singh ने कहा…

भौरों को कौन
सन्देश पहुंचाता !
कोयल के सुरीले
कंठ से गाकर
कौन नींद से
मुझे जगाता .....

प्रकृति का अनुपम भाव लिए रचना
मेरा विद्यालय और राष्ट्रिय पर्व पर एक नज़र डालियेगा .

Dinesh pareek ने कहा…

बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार

आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये

आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

Asha Joglekar ने कहा…

सुमन जी, काफी समय से नई कविता नही आई ।

अनूप शुक्ल ने कहा…

सुन्दर कविता !

Unknown ने कहा…

भावभीनी सुन्दर रचना जो मन को गहरे तक छू गयी । बधाई

Satish Saxena ने कहा…

समझ न पायी कभी आजतक
नील गगन में,साँझ-सवेरे
अनगिन झिलमिल दीप सामने
कौन जलाता, कौन बुझाता !

सुबह सवेरे फूल खिलाकर
इन चिड़ियों को कौन जगाता
फूल और पत्तों पर आकर
कौन धवल मोती बिखराता !

कौन शक्ति आकर भौरों को,
फूलों की सगंध बतलाये !
और हवाओं में खुद कैसे
मधुर मधुर सौरभ भर जाता !

कोयल का संगीत सुनाकर
कौन सुबह को मुझे जागता
किसकी यादें मुझे भेजकर
मीठे सपने रोज़ दिखाता !