अक्सर मै
सोचती हूँ
फिर भी
मन है कि
समझ न पाता
साँझ-सवेरे
नील गगन में,
अनगिनत
झिलमिल दीप
कौन जलाता
कौन बुझाता !
भोर से पहले
पंछी जागते,
फूल,पत्तों पर
कौन धवल
मोती बिखराता !
सवेरे-सवेरे
फूल खिल जाते,
हवाओं में कैसे
सौरभ भर जाता !
पल भर में
भौरों को कौन
सन्देश पहुंचाता !
कोयल के सुरीले
कंठ से गाकर
कौन नींद से
मुझे जगाता .....?
14 टिप्पणियां:
प्यारी सी रचना
सच कौन है वो जीवन का संचालक ..... बहुत प्यारी रचना
sacchi bat ..kaun hai ...kabhi samne to aaye ...
सटीक प्रस्तुति ||
आभार आदरेया ||
बहुत प्यारी सुन्दर रचना.
ये तो प्रकृति ... उस ईश्वर का कमाल है जिसको कोई देख नहीं पाता है ...
सचमुच कौन । वही तो नही जिसके बलबूते पर हम वह सब करते हैं जो आनंद देता है ।
खूबसूरत भाव
भौरों को कौन
सन्देश पहुंचाता !
कोयल के सुरीले
कंठ से गाकर
कौन नींद से
मुझे जगाता .....
प्रकृति का अनुपम भाव लिए रचना
मेरा विद्यालय और राष्ट्रिय पर्व पर एक नज़र डालियेगा .
बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
सुमन जी, काफी समय से नई कविता नही आई ।
सुन्दर कविता !
भावभीनी सुन्दर रचना जो मन को गहरे तक छू गयी । बधाई
समझ न पायी कभी आजतक
नील गगन में,साँझ-सवेरे
अनगिन झिलमिल दीप सामने
कौन जलाता, कौन बुझाता !
सुबह सवेरे फूल खिलाकर
इन चिड़ियों को कौन जगाता
फूल और पत्तों पर आकर
कौन धवल मोती बिखराता !
कौन शक्ति आकर भौरों को,
फूलों की सगंध बतलाये !
और हवाओं में खुद कैसे
मधुर मधुर सौरभ भर जाता !
कोयल का संगीत सुनाकर
कौन सुबह को मुझे जागता
किसकी यादें मुझे भेजकर
मीठे सपने रोज़ दिखाता !
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