उमंग उल्लास आज मनपर है छाया
जगमग -जगमग दीपो का त्यौहार आया !
शरद के आगमन का यह जादू सारा
नववधू सी सज गई सारी वसुन्दरा!
अम्बर पर, धवल जोत्स्ना बिखर रही है
हरियाली पर ओस की बुँदे मोतीसी चमक रही है !
उध्यानोमे पराग भरे पुष्प खिलखिला रहे है
शाख -शाख पर चिडिया फुदक रही है !
वर्षा में उफनती सरीता, अब धीर मंथर बह रही है
कमल पंखुडियों पर भ्रमर गुनगुना रहे है !
आज प्रकृतिका जैसे हरदय खिल गया दूना
खुशियों से महक रहा है घर आँगन का कोना !
घर-घर में प्रेम के दीप जलाओ
दीपावली का पवन पर्व मनाओ !
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2 टिप्पणियां:
सुमन जी, बहुत सुन्दर,चित्रण है; बस दीपावली पर धवल ज्योत्सना नहीं होती।
---हमें साहित्य में विश्व सत्यों का द्यान रखना चाहिये।
namaste Dr.sahab agli bar mai apni trutiyon par vishes dhyan rakhungi.tippani ke liye bahut bahut dhanyevad.
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