क्यों देतो हो उपदेश
ऐसे बनो वैसे बनो
नक़ल करने पर देते हो सजा
फिर क्यों कहते हो
बनो उसके जैसा
पूछो मलीसे,
उसके बाग़ के,
फूल न्यारे खुशबु न्यारी
क्या जूही क्या मोगरा
फिर भी उसको कितना प्यारा
हम भी ,
तुम्हारे बाग़ के फूल है
हर फूल दुसरे से अलग है
देना स्नेह का खाद पानी
फिर, हम अपना फूल खिलायेंगे
सारी दुनिया में हम अपनी
खुशबु सारी बिखरायेंगे!
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1 टिप्पणी:
bahut sundar likhan..
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